कर्क लग्न वालों के लिए मित्र और शत्रु
1: कर्क लग्न में सूर्य धन भाव का स्वामी होता है।
साथ ही साथ वह लग्नेश चंद्रमा का मित्र है इसलिए यदि कर्क लग्न वाले
जातक को धनाभाव हो या आंखों में कष्ट हो तो माणिक्य पहनना लाभ देता है।
लेकिन धन भाव के साथ दूसरा भाव मारक भी होता है इसलिए मोती माणिक्य को मोती के साथ धारण करना ही लाभकारी होता है।
2: कर्क लग्न में चंद्रमा लग्नेश होता है।
अत: ऐसे जातक को आजीवन मोती धारण करना चाहिए। इससे बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिलता है,
आयु में वृद्धि होती है और आर्थिक संकट नहीं आता है।
3: कर्क लग्न में मंगल नौवे और दशवें भाव का स्वामी होता है।
ये एक बेहतर योग है और ऐसी स्थिति में गंगल इस लग्न के जातकों का कारक ग्रह बनकर अत्यधिक लाभ पहुंचाता है।
यदि मूंगे को लग्नेश चंद्र के रत्न मोती के साथ पहना जाए तो यह अत्यंत शुभ होगा।
4: कर्क लग्न में बुध तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी होता है।
ये दानों भाव अशुभ फलदायी होते हैं।
इसलिए कर्क लग्न के जातकों को पन्ना नहीं पहनना चाहिए।
5: कर्क लग्न में गुरू छठे और नवें भाव का स्वामी होताहै
इसलिए यह इस लग्न के लिए शुभ माना गया है।
इस लग्न वाले लोग अगर पुखराज के साथ मोती या मूंगे की अंगूठी धारण करें तो बहुत लाभ होता है।
6: कर्क लग्न में शुक्र चौथे और ग्यारवें भाव का स्वामी है। अत: यह लग्न शुक्र के लिए शुभ होता है।
लेकिन कर्क लग्न का स्वामी चंद्र है जो कि चंद्र से समभाव रखता है।
इसलिए भावों के शुभ होने के कारण हीरा धारण किया जा सकता है।
शुक्र की महादशा में हीरा पहनना बहुत लाभदायक होगा।
7: कर्क लग्न में शनि सातवें और आठवें भाव का स्वामी होता है।
ये दानों भाव अशुभ होते हैं। साथ ही शनि कर्क लग्न की स्वामी चंद्रमा का मित्र भी नहीं है।
इसलिए इस लग्न के लोगों को नीलम कभी धारण नहीं करना चाहिए।